इतना मत तड़पाया कर,
हद में ही याद आया कर।
मक्खन सा है नाजुक दिल,
चाकू सा चल जाया कर।
दुनिया कितनी ज़ालिम है,
बाहर कम ही जाया कर।
चाहे गाली ही दे ले,
पास से चुप मत जाया कर।
रातें अब के छोटीं हैं,
सपने में मत आया कर।
हंसती सुन्दर दिखती हो,
थोड़ा तो मुस्काया कर।
#Alpu
Wow. Amazing poem. Great poetry dear friend. Enjoyed reading it. Thanks
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Good morning dear friend
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Good morning Alpesh
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